ज़िन्दगी के सफर में हमें कुछ ऐसे लोग मिलतें जिनका काम ही होता है लोगों के साथ मक्कारी करना उन्हें इस बात का पूरा ज्ञान प्राप्त होता है की किस व्यक्ति के साथ किस प्रकार की मक्कारी करनी है उन्हें इस बात से कोई लेना देना नहीं होता की आप उन पर किस प्रकार का विश्वास करते है, इसलिए आज हम आपके सामने लेकर आये हैं मक्कारी पर शायरी in Hindi जिसे आप उन मक्कार लोगों को भेजकर उन्हें उनकी गलती का एहसास दिला सकते हैं। Makkari Par Shayari इस एक-एक शायरी को चुन-चुन के हम आपके सामने लेकर आये हैं और आशा करते हैं की आपको ये शायरी बहुत ही ज्यादा पसंद भी आयें।

जब समझ आ जाये अपनों की मक्कारी,
तो खुद में भी ले आना खुदारी…
मेरी हर बात मेरे अपनों को मक्कारी लगती है,
यही एक बात है जो मुझे हमेशा मेरे दिल को भारी लगती है…

तेरी आँखों की मक्कारी आज भी बताती है,
की आज भी बेपनाह मोहब्बत है तुझे मुझसे…
उसकी मक्कारी से हम दोनों ही धोखा खा बैठे,
क्यूंकि हमने उसे ओरो से अलग समझा,
ओर उसने हमें ओरों जैसा ही समझा…

सूरत से नहीं तेरी सिरत से किया था हमने,
क्या पता था मुझे तेरी सिरत में भी मक्कारी ही निकलेगी…
मक्कारी भी एक छोटे कम्बल की तरह है,
सर पर ढको तो पैर ठंडे पड़ जते है,
पैर ढको तो सर ठंडा पड़ जाता है..

किरदार में मेरे भले अदाकारिया नहीं है,
बेशक़ हुँ मैं खुदार, है गुरुर पर मुझमे मक्कारी नहीं है…
जीवन में चालक, मक्कार, फरेबी तो बहोत देखे,
लेकिन तुम जैसा आज तक नहीं देखा…

जिंदगी का मज़ा वो भी उठा रहे है,
जो हमेशा यही कहते थे तुझ बिन मर जायेंगे हम…